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Raja Rani राजा और नाविक हिंदी कहानी क्लास ५ - Raja aur Navik hindi kahani

  Raja Rani राजा और नाविक हिंदी कहानी क्लास ५ 

बहुत समय पहले की बात है | ब्रह्मपुत्र नदी ( जो असम की प्रसिद्ध नदी है ) के तट पर एक शहर बसा हुआ था | वहां के राजा ने एक दिन नौका विहार करने का निश्चय किया| दोपहर के भोजन के पश्चात उन्होंने मंत्रियो के साथ ब्रह्मपुत्र नदी के एक टापू पर जाने का विचार किया| एक सजी हुई नौका पर राजा सवार हुए  और दूसरी नौका पर उनके कुछ मंत्री सवार हो गए | ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी| राजा आँखे बंद किये हुए नौका विहार का आनंद लेटे हुए ले रहे थे | Read -  Raja Rani

राजा को सोया जानकर उस नाव के नाविक आपस में बातें करने लगे| एक नाविक ने अपना पसीना पोंछते हुए दूसरे नाविक से कहा, "देखो कैसा न्याय है| हम लोग धुप में पसीना बहा रहे है और मंत्री गण कैसे आराम से लेटे हुए हैं| हम भी उनकी तरह मनुष्य हैं लेकिन ……." दूसरे नाविक ने उसकी बात का समर्थन किया और हामी भरी|


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राजा आँखे बंद किये हुए थे लेकिन वे सोये नहीं थे| वे चुपचाप नाविकों की बात सुन रहे थे| राजा ने नाविकों को सीख देने की ठानी|

थोड़ी ही देर में वे टापू पर उतर गए| राजा नाव से उतर कर टापू के किनारे-किनारे टहलने लगे| थके हुए नाविक भी खा-पी कर इधर-उधर लेट गए| कुछ ही दुरी पर एक मंदिर दिखाई दे रहा था| राजा को मंदिर के पास से कुछ आवाजें सुनाई दे रही थीं| ऐसा लग रहा था जैसे कोई वहाँ रो रहा है| राजा ने तुरंत एक नाविक को बुलाकर कहा, "जरा जाकर पता लगाओ कि ये आवाजें किसकी आ रही हैं?" Good Raja Rani

नाविक राजा कि आज्ञा पाकर तुरंत मंदिर की तरफ भागा| टापू पर काफी चढ़ाई थीं |

वह चढ़ते हुए हाँफने लगा! कुछ देर बाद नाविक लौटकर आया तो राजा ने पूछा, बताओ नाविक ! "आवाजें क्यों आ रही थीं? वहाँ कौन था?"

"कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चे रो रहे हैं, राजन!" नाविक ने उत्तर दिया। 

"कितने पिल्ले हैं नाविक?" राजा ने पूछा।  नाविक चुप रहा, क्योंकि उसने गिनती नहीं की थीं।  वह उलटे पाँव वापिस ऊपर भागा।  दौड़ते-हाँफते वापिस आकर बोला, "महाराज पाँच पिल्ले हैं। "

राजा ने फिर पूछा, "उनमें से कितने नर और कितने मादा हैं ?" नाविक फिर दौड़ा-दौड़ा गया फिर हाँफता हुआ वापिस आया और बोला, "महाराज! दो नर और तीन मादा है। "

राजा ने नाविक से फिर पूछा, "नाविक ! पिल्ले किस रंग के हैं ? काले, सफ़ेद या भूरे रंग के?"

नाविक मुसीबत में पड़ गया।  उसने तो इसका ख्याल ही न रखा था।  अब जब राजा ने पूछा है तो बताना ही होगा- यह सोचकर वह चौथी बार भागता हुआ मंदिर के पास गया और लौटकर बोला, "महाराज दो काले रंग के हैं और तीन भूरे रंग के।"

राजा ने अब नाविक से और कुछ न पूछा।  नाविक ने मन-ही-मन ईश्वर को धन्यवाद दिय।  बार-बार मंदिर तक आने-जाने में ही उसकी हालत ख़राब हो गयी थी।  राजा नाविक की हालत देखकर मन-ही-मन मुस्करा रहे थे।  अब उन्होंने अपने मंत्रियो में से एक मंत्री को अपने पास बुलाकर कहा, "मंदिर के पास से कुछ आवाजें आ रही हैं, जरा इनके बारे में पता करके बताइए। "

मंत्री राजा की आज्ञा पाकर मंदिर की ओर गया ओर थोड़ी देर बाद लौट कर आया और बोला, "महाराज! मंदिर के पीछे कुत्ते के पिल्ले आपस 

में लड़-झगड़ रहे हैं, ये उनकी ही आवाजें हैं। "

राजा ने पूछा, "कितने पिल्ले हैं?"

मंत्री ने तुरंत उत्तर दिया, "पाँच। "

"उनमें से कितने नर और कितने मादा?" राजा ने फिर पूछा। 

"दो नर और तीन मादा, महाराज!" मंत्री ने जवाब दिया। 

"किस रंग के पिल्ले हैं, मंत्री," राजा ने फिर पूछा। 

"महाराज! दो काले रंग के और तीन भूरे रंग के लेकिन इनकी माँ का रंग काला हैं।  ये सब पुजारी के पालतू कुत्ते के पिल्ले हैं।" मंत्री ने कहा। 

मंत्री से सभी प्रश्नों के ठीक उत्तर सुनने के बाद राजा ने नाविक की ओर देखकर कहा, "मेरे प्रश्नों के उत्तर देने के लिए तुम्हे चार बार मंदिर तक जाना पड़ा, कितना परिश्रम बार-बार चढाई व आने जाने में करना पड़ा।  ठीक हैं न ! औऱ देखो, मंत्री ने एक ही बार जाकर सारी जानकारी प्राप्त कर ली।  अब समझे, कि सभी मनुष्य एक सामान नहीं होते।  कोई शारीरिक परिश्रम कर सकता हैं औऱ कोई मानसिक।  सबकी बुद्धि एक सामान नहीं होती।  इसलिए तो कोई मंत्री बनता हैं औऱ कोई नाविक।  हर किसी के कार्य का अपना-अपना महत्व होता है।  जिस प्रकार तुम मंत्री का कार्य नहीं कर सकते उसी तरह मंत्री भी तुम्हारी तरह परिश्रम नहीं कर सकते।  इसलिए इसमें न्याय-अन्याय की कोई बात नहीं है। 

नाविक अब पूरी बात समझ चूका था।  उसने राजा के सामने अपना सिर झुका लिया। 


शिक्षा - काम से आदमी छोटा-बड़ा नहीं होता।  परंतु दिमाग (बुद्धि) आदमी को छोटा बड़ा बनाता है। 


शब्दार्थ 

टापू - चारों तरफ पानी से घिरी जमीन

समर्थन - साथ देना/हाँ में हाँ मिलाना 

पश्चात् - बाद में

विहार - घूमना 

पसीना बहाना - अत्यधिक मेहनत करना 

नाविक - नाव चलने वाला

तुरंत - एकदम से 

हाँफना - सांस फूलना 















 

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