बीरबल की खिचड़ी - Birbal Ki Khichdi
सर्दी के दिन थे। बादशाह अकबर अपने दरबारियों के साथ दरबार हाल में बैठे मंत्रणा कर रहे थे। सभी ने कई-कई कंबल व रजाइयाँ ओढ़ रखी थी लेकिन ठंड किसी भी प्रकार दूर नहीं हो पा रही थी। तभी बादशाह अकबर के दरबार में एक आदमी ने प्रवेश किया और बादशाह अकबर से बोला, "महाराज मैं बहुत ही गरीब आदमी हूँ तथा मुझे कुछ धन की आवश्यकता है। " अकबर के दरबार में कुछ ऐसे मंत्री भी थे जो हमेशा दूसरों का मजाक बनाना पसंद करते थ। बादशाह के बोलने से पहले उन मंत्रियों में से एक मंत्री बोला, "क्या तुम यमुना नदी के ठंडे पानी में रात भर खड़े रह सकते हो। " यदि तुम ऐसा करोगे तो बादशाह सलामत तुम्हें इनाम में सोने की अशर्फ़ियाँ देंगे। अकबर ने भी मंत्री की बात पर सहमति दे दी।
वह गरीब आदमी मंत्री की बात से सहमत होकर यमुना नदी के ठंडे पानी में रात भर खड़ा रहा। बादशाह ने दो पहरेदार निगरानी के लिए लगा दिए थे। प्रात:काल पहरेदारों ने बादशाह अकबर को बताया कि बेचारा गरीब आदमी सारी रात ठिठुरता हुआ यमुना के पानी में खड़ा रहा। यह बात सुनकर बादशाह को बहुत आश्चर्य हुआ।
सुबह वह गरीब आदमी अपना इनाम लेने बादशाह के पास पहुँचा, तो उन्होंने उससे पूछा, "यमुना के ठंडे पानी में पूरी रात तुमने अपना समय कैसे बिताया था?"
गरीब आदमी ने जवाब दिया,"हज़ूर! नदी में, मैं जहाँ खड़ा था। वहाँ से आपके महल की एक खिड़की से दीपक की रोशनी दिख रही थी। मैं सारी रात उस रोशनी को देखता रहा। "
गरीब आदमी की बात सुनकर बादशाह ने कहा, "अच्छा, तो यह बात है! तुम रात भर यमुना के ठंडे पानी में इसलिए खड़े रह सके, क्योंकि तुम उस दीपक से गर्मी लेते रहे। अत: तुम्हें इनाम माँगने का कोई हक़ नहीं है। " बादशाह ने उसे इनाम नहीं दिया।
बादशाह की बात सुनकर गरीब आदमी बहुत निराश हुआ। वह सहायता के लिए बीरबल के घर पहुँचा और बीरबल को अपने साथ घटित सारी बातें बताई। बीरबल ने उस आदमी की सारी बातें बहुत ध्यान से सुनीं और उसे ढाढस बंधाते हुए कहा, "चिंता मत करो! मैं तुम्हें न्याय अवश्य दिलवाऊँगा। " बीरबल के कहने पर वह आदमी अपने घर चला गया।
दूसरे दिन बीरबल अकबर के दरबार में नहीं पहुँचे। अकबर ने बीरबल का पता लगाने के लिए अपने सेवक बीरबल के घर पर भेजे। सेवकों ने वापिस आकर बादशाह से कहा, "महाराज! बीरबल ने कहा है कि वे अभी खिचड़ी पकने में व्यस्त हैं जैसे ही खिचड़ी पकती है वे भोजन करके दरबार में हाज़िर हो जायेंगे। "
काफी समय बीतने पर भी जब बीरबल दरबार में नहीं आए तो अकबर ने दुबारा अपने सेवक बीरबल के घर पता लगाने के लिए भेजे। उन्होंने भी वापिस आकर वही जवाब दिया।
बीरबल का विचित्र जवाब सुनकर बादशाह को आश्चर्य हुआ और आखिरकार वे स्वयं बीरबल के घर यह देखने पहुँच गए कि बीरबल ऐसी कौन सी खिचड़ी पका रहे हैं जो इतना वक्त बीतने पर भी नहीं पकी। बीरबल के घर का दृशय देखकर बादशाह चकित रह गए। बीरबल ने जमीन पर आग जला रखी थी और तीन लंबे बाँसो के सहारे ऊँचाई पर एक मिटटी की हँडिया बाँध रखी थी।
बादशाह ने क्रोध में कहा, 'बीरबल यह क्या बेवकूफी है? जमीन पर जल रही आँच इतनी ऊपर टँगी हँडिया तक कैसे पहुँच सकती है ?"
बीरबल तो इसी इंतज़ार में था कि बादशाह उससे सवाल करें और वह जवाब दे, बीरबल ने कहा, "महाराज! यदि यमुना नदी के जल में खड़ा आदमी दूर के एक दीपक की रोशनी से गर्मी प्राप्त कर सकता है, तो जमीन पर जल रही आग की आँच से ऊपर बँधी यह हँडिया क्यों नहीं गर्मी पा सकती यह तो दीपक की तुलना में बहुत नजदीक है ?"
बादशाह को अचानक अपनी गलती का एहसास हो गया। उनको बीरबल के खिचड़ी पकाने का कारण समझ में आ गया था।
बादशाह ने तुरंत उस गरीब आदमी को बुलवाया और उसे इनाम की अशर्फिया दे दीं। वह गरीब आदमी खुश होकर बादशाह और बीरबल को धन्यवाद देता और जय-जयकार करता हुआ चला गया।
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