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aladin aladin aur jadui chirag hindi kahani - अलादीन और जादुई चिराग क्लास ५ हिंदी कहानी

 अलादीन और जादुई चिराग क्लास ५ हिंदी कहानी

बगदाद शहर मेँ अलादीन नाम का एक युवक रहता था।  वह कोई काम-धंधा नहीं करता था।  उसके पिता एक दर्ज़ी थे। 

एक बार एक व्यक्ति अलादीन के घर पर आया, उसने बहार से ही अलादीन को आवाज़ दी, "क्या अलादीन घर पर है ?" अलादीन की माँ आवाज़ सुनकर दरवाज़े के बहार झाँक कर बोली, "कौन है?" आंगतुक ने परिचय देते हुए कहा, "वह रिश्ते मेँ अलादीन का चाचा लगता है जो बचपन मेँ घर छोड़कर चला गया था। " कुछ इधर-उधर की बातें करके उसने पूछा, "अलादीन कुछ काम-धंधा करता है या ऐसे ही घूमता रहता है। "

जरीना ने कहा, "अब क्या बताएँ! इकलौती संतान लाड-प्यार मेँ बिगड़ गई।  वह न ही पड़ता-लिखता है।  और न ही कोई काम-धंधा करता है।  हमारा गुजारा बड़ी मुश्किल से हो रहा है। "

आंगतुक बोला, "तुम चिंता न करो जरीना।  मैं सब ठीक कर दूँगा। " एक-दो दिन में आने को कहकर वह चला गया। 

दो दिन बाद प्रात: सूर्योदय से पूर्व वह आंगतुक आ गया।  वह अलादीन के लिए नए-नए कपड़े भी साथ लाया था।  अलादीन भी नए कपड़े पहन कर झटपट तैयार होकर उसके साथ चल दिया।  वह आदमी अलादीन का चाचा नहीं था बल्कि वह एक चालक जादूगर था। 

चलते-चलते वे दोनों एक छोटे मुँह वाली गुफा के पास पहुँच।  जादूगर के पास एक जादुई अँगूठी थी।  जो वह अलादीन को पहनकर बोला, "देखो! इस द्वार से तुम अंदर गुफा में जाकर चबूतरे पर रखा दीपक ले आओ।  चबूतरे के पास बहुत सारा सोना, चाँदी, हीरे-जवाहरात भिखरे पड़े हैं चाहो तो साथ ले आना। " अलादीन अंदर गुफा से खजाना अपनी जेबों में भरने लगा।  उसने चबूतरे पर रखा दीपक भी ले लिया।  अब वह संकरी गुफा से ऊपर चढ़ने लगा।  गुफा से हाथ निकल अलादीन ने जादूगर से उसे ऊपर खींचने के लिए कहा।  जादूगर अलादीन का खाली हाथ ऊपर देख बोला, "लाओ पहले दीपक मुझे दो फिर मैं तुम्हें ऊपर बहार खींच लूँगा। "

अलादीन बोला, "चाचा दीपक तो मेरी जेब में है।  मैं हाथ नीचे करके दीपक नहीं निकाल सकता।  पहले मुझे बहार निकालो फिर मैं दीपक निकाल कर दूँगा। " जादूगर बार-बार पहले दीपक देने की हट करने लगा।  अलादीन द्वारा दीपक न देने पर क्रोधित होकर जादूगर एक बड़े से पत्थर से गुफा को बंद करके वहाँ से चला गया। 

गुफा में अलादीन का दम घुटने लगा।  उसने बहुत कोशिश की परंतु पत्थर गुफा के मुँह से न हटा सका।  अलादीन ने सोचा दीपक जलाकर रौशनी की जाए।  उसने जेब से दीपक निकाला, तभी पत्थर से अंगूठी रगड़ खा गई।  उसमें से एक जिन्न प्रकट हुआ।  जिन्न देख अलादीन घबरा गया।  परंतु जब वह जिन्न हाथ जोड़ कर बोला, "मैं इस अँगूठी का दास हूँ, मेरे लिए क्या आज्ञा है ?" तब अलादीन ने जिन्न से घर पहुँचाने के लिए कहा।  कहने भर की देर थी कि अलादीन माँ के सामने खड़ा था। 

अलादीन एक बहुत ही कुशाग्र बुद्धि वाला लड़का था।  वह समझ गया कि एक दीपक में भी कोई विशेषता है।  तभी जादूगर बार-बार दीपक माँग रहा था।  चलो इस दीपक को भी साफ करके रख लेते हैं।  अलादीन ने जैसे ही दीपक साफ करने के लिए रगड़ा उसमें से भी एक जिन्न निकला और बोला, "क्या हुक्म मेरे आका। " अलादीन बोला, "हमारे लिए अच्छे-अच्छे पकवान व वस्त्राभूषण ले आओ। " जिन्न ने कहा, "जो आज्ञा मेरे आका। " कहकर जिन्न गायब हो गया और थोड़ी देर में नाना प्रकार के व्यंजन व सुंदर-सुंदर वस्त्र व आभूषण का ढेर लगा दिया।  अलादीन और उसकी माँ ने छक कर भोजन किया।  अब तो अलादीन की काया पलट हो गई थी।  वह अब बहुत अमीर व्यक्ति बन गया था। 

उधर जादूगर अलादीन के घर को महल बना देख समझ गया कि यह सब अलादीन को दीपक के जिन्न ने दिया ह।  जादूगर को अलादीन पर बहुत क्रोध आया।  उसने निश्चय किया कि वह एक दिन जरूर अलादीन से जादुई दीपक लेकर रहेगा। 

एक दिन अलादीन की दृष्टि वहाँ की शहजादी 'बदर' पर पड़ी।  वह शहजादी 'बदर' से विवाह के सपने देखने लगा। उसने अपनी माँ को बहुमूल्य मोती, हीरे-जवाहरात, सोने-चाँदी को साथ लेकर शहजादी के पिता (राजा) के पास भेजा।  उपहार देकर बादशाह से अपने बेटे के लिए बदर को माँगा।  बादशाह उपहार देख प्रसंन्न व प्रभावित हो गया।  उसने शहजादी की शादी अलादीन से कर दी। 

एक दिन जब अलादीन घर पर नहीं था तब जादूगर भेष बदल कर उसके महल के पास जाकर बोला, "पुराने दीपकों के बदले नया दीपक ले लो। " शहजादी बदर को जादुई दीपक के बारे में कुछ पता नहीं था।  इसलिए उसने पुराने दीपक के बदले चमचमाता दीपक ले लिया।  जादूगर दीपक पाकर बहुत खुश हुआ। उसने दीपक के जिन्न को आज्ञा दी कि शहजादी सहित महल को बहुत दूर एक टापू पर ले चलो।  अलादीन वापिस आया तो उसे अपना महल नहीं मिला।  वह सारा मामला समझ गया।  वह अँगूठी के जिन्न कि मदद से अपने महल में शहजादी के पास पहुँच गया। 

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जादूगर महल में नहीं था।  अलादीन ने शहजादी को सारी बात समझाई।  उसने शहजादी को एक विष की पुड़िया देकर जादूगर के भोजन में 

मिलाने को कहा।  अलादीन स्वयं महल में छिप गया।  रात्रि में भोजन के समय जादूगर वापिस आ गया।  शहजादी ने बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और उसमें विष की पुड़िया को मिला दिया।  जादूगर ने बड़े चाव से भोजन खाया।  भोजन के बाद उसे नींद ने घेर लिया।  वह निद्रा देवी की गोद में ऐसा सोया कि फिर कभी नहीं उठा। 

अब अलादीन अपने महल को वापिस अपने देश ले आया और माँ व पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा। 

किसी ने सच ही कहा है, "ईश्वर जब देता है छप्पर फाड़ कर देता है। " 







 





 

















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