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Dhyan Kaise Kare - ध्यान कैसे करे

 

Dhyan Kaise Kare - ध्यान कैसे करे (मेरे अनुभव)

ध्यान करने की सबसे सरल विधि है सीधे और आरामदायक रूप से पालती लगाकर बैठ जाये। अगर कोई गुरु या आराध्यदेव नहीं है तो भगवान शिव को आराध्यदेव मान कर, उनसे प्रार्थना करके, आराम से आँखे बंद करके, दोनों हाथों को आगे की ओर रखते हुए, हाथों की पहली दो उंगलियों को मोड़ लें।  एक लम्बी गहरी सांस ले और फिर धीरे से छोड़ दे।  थोड़ी दे शांत बैठे रहे।  बस बैठे ही रहे। और कुछ देर बाद जब कोई ख्याल आने लगे तो ॐ का उचारण बोल-बोल कर करे।  ऐसा कुछ दिन लगातार करें।  

पहले २-३ दिन ५-१० मिनट तक बैठे रहे। अलार्म लगाने की जरुरत नहीं है।  धीरे-धीरे सांसो पर ध्यान दे कुछ ही दिनों में आप अनुभव करेंगे की सांस गहरी और लम्बी होती जा रही है।  इसी प्रकिरिया को हर रोज नियमित रूप से दोहराते रहे।  आप पाएंगे कि आपके अंदर मानसिक और शारीरिक बदलाव हो रहे है।  

अगर कोई विचार या ख्याल आये तो क्या करे? -dhyan mein koi khayal aaye to kya kare

ध्यान के शुरुआत में ये होना एक आम बात है आपको चिंतित नहीं होना है आपको बस ये समझना है कि जैसे आप टीवी पर कोई सीरियल या मूवी देखते है तो वह बस चल रही होती है ठीक उसी प्रकार आपको उन विचारों को आने और जाने देना होता है पर ध्यान रहे की आपको उस विचार पर अटक नहीं जाना है बस जो हो चल रहा है उससे बस चलते देना है। 

विचारों से छुटकारा कैसे पाएं? dhyan karte samay vichro se mukat kaise ho

ऊपर दी गयी विधि के अनुसार आप कुछ ही दिनों में अनुभव करेंगे की आपके अंदर से विचार शून्य हो रहे है और आप अपने अंदर गहराई में उतर रहे है। तो नियमित रूप से प्रभु का नाम लेकर ध्यान करते रहिये। 

सांसों पर ध्यान कैसे लगाएं? ध्यान करते समय मन भटकता है क्या करें? 

जब भी ऐसा हो लम्बी गहरी सांस अंदर की और खींचे और फिर धीरे-धीरे बाहर की ओर छोड़ दें ऐसा ४-५ बार दोहराएं।  आप कुछ ही देर में बहुत हल्का अनुभव करेंगे और ध्यान में मन लगना प्रारम्भ हो जायेगा।

ध्यान करते समय क्या सोचना चाहिए? - dhyan karte samay kya sochna chahiye

ध्यान करते समय आपको कुछ सोचने की आवशयकता नहीं है, बस अंदर आ रही और बाहर जा रही साँसों पर ध्यान केंद्रित करे। निरंतर यह करने से आपके अंदर चल रही विचार हलके होने लग जायेंगे और आप अपने अंतर्मन में उतरने लग जायेंग। 



सांसो पर ध्यान देने से क्या होता है? - saanso par dhyan dene se kya hota hai

जब हम अपने अंदर आने-जाने वाली सांस पर ध्यान देते है तो न सिर्फ हम शारीरिक बल्कि मानसिक विकारों से भी मुक्त होते है । सांस हमारे तनाव, बेचैनी और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर हमारे शरीर को सकारात्मक ऊर्जा एवं तीव्र दिमाग से सही निर्णय लेने में मदद करता है । अच्छी सांस तन और मन में सात आश्चर्यजनक बदलाव ला सकती है जोकि हमारे भौतिक जीवन के लिए बहुत ही अनिवार्य है लेकिन इसके लिए अभ्यास की जरूरत है।  

गहरे ध्यान में कैसे जाएं? - gehre dhyan mein kaise jayen

जब भी आप ध्यान करने बैठे अगर उस समय मन अस्थिर हो तो उस समय सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को अंदर की आँखों से देखने की कोशिश करें और इसका एहसास करें, कुछ ही समय में आपका मन स्थिर हो जायेगा और ध्यान लगने लगेगा। ध्यान करते समय गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे सांस छोड़ने की क्रिया से जहाँ शरीर और मन को लाभ मिलता है, वहीं भौतिक और आध्यात्मिक  बदलाव भी देखने को मिलते है। 

गहरे ध्यान में आने में कितना समय लगता है? - gehre dhyan mein aane mein kitna samay lagta hai

जीवन में किसी भी चीज में महारत हासिल करने के लिए निरंतरता जरुरी है। जब हम कोई भी डिग्री या डिप्लोमा हासिल करते है या ये मान कर चलो की दसवीं की परीक्षा पास करनी है तो आपको पहली कक्षा से निरंतर स्कूल जाने की अनिवार्यता है उस प्रकार ध्यान में महारत हासिल करने के लिए आपको स्वयम सुबह उठकर, प्रीतिदिन किर्याओं से निवृत होकर उसके बाद नहाधोकर, फिर ध्यान में बैठने की आदत में निरंतरता लाने की जरूरत है। जैसे ही आप विचारमुक्त होने लगेंगे आप उतने ही गहराई में उतरने लग जायेंगे। 

आपको कैसे पता चलेगा कि आप गहरे ध्यान में हैं? - kaise pta chalega ki hum gehre dhyan mein hai

जब भी हम गहरे ध्यान में होते है हमारी सांस की गति बहुत धीमी हो जाती है, और हम स्वयं के बारे में कम जागरूक हो जाते हैं। यह प्रक्रिया कुछ ही क्षण की होती है, आपको पता चलता है कि ध्यान करते समय आपने जो कुछ अनुभव किया था, उसमें से केवल कुछ ही याद रख सकते हैं, आपका अपने शरीर में है, किन्तु आप भूल गए हैं कि आप थे , तो यह एक अच्छा संकेत है कि आप गहन ध्यान अवस्था में हैं।

गहरे ध्यान में क्या अनुभव होता है? - gehre dhyan mein kya anubhav hota hai

गहरे ध्यान की तो दुनिया ही अलग है क्योंकि उस समय जो अनुभव होता है वो क्षण मात्रा याद रहता है किन्तु जब हमारा ध्यान लगना शुरू होता है उस समय हमें कुछ शारीरिक अनभुव होते है जैसे ध्यान के समय भौहों के बीच पहले काला और फिर नीला रंग दिखाई देना एक सामान्य अनुभव है। शरीर के निचले हिस्से पर जहां रीढ की हड्डी शुरु होती है, स्पंदन का अनुभव, सिर में शिखास्थान पर चींटियां चलने जैसा लगना, कपाल ऊपर की तरफ खिंचने जैसा लगना आदि भी इसी तरह के अनुभव शामिल है। 

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