Ganesh Ji ki Katha - गणेश जी की कथा
Ganesh Ji ki Kahani in Hindi - गणेश जी की कहानी हिंदी में पढ़ें |
एक गाँव में एक डोकरी (वृद्धा) रहती थी। उसकी बहु थोड़ी सी पागल जैसी रहती थी। उससे भूख बिल्क़ुल सहन नहीं होती थी। वह रोज सुबह उठकर सबसे पहले खाना कहती थी। फिर दूसरे काम करती थी। एक दिन उनके यहाँ पूजा होनी थी और पूजा के लिए खाना बनना था। तो वृद्धा ने सोचा, कि ये तो सुबह से ही खाऊं-खाऊं करेगी और सारा खाना झूठा कर देगी।
तो वृद्धा ने एक उपाय सोचा, उसने पानी के मटके के निचे एक छेद कर दिया, और बहु से कहा कि "आज पूजा है, तू सुबह से खाऊं-खाऊं मत करना। " "तू पहले पानी भर ला, फिर कुछ खा-पी लेना। "
बहु ने सास से कहा कि "ठीक है" और वह पानी भरने चली गयी।
क्योंकि बहु भी थोड़ी समझदार थी वह पानी भरने कुए पर आयी तो वहां पर सबसे पहले अपने साडी में बंधा आटा निकला और पनघट पर उसे गूंध लिया और उसकी बाटियाँ बना ली। वहीँ पास में शमशान था, वहां एक मुर्दा जलाया गया था, तो उसकी आंच में उसने वो बाटियाँ सेक ली।
वहीँ पास में ही गणेश जी का मंदिर था, मंदिर में किसी ने गणेश जी को चोला चढ़ाया हुआ था और गणेश जी के पेट पर घी लगा हुआ था। उसने उस घी से बाटियाँ चोपड़कर एक बाटी का भोग गणेश जी को लगाया और बाकि बाटियाँ खा ली। उसके बाद आराम से घर गयी।
इधर गणेश जी ने क्रोधित होते हुए नाक पर ऊँगली चढ़ा ली। कोई उधर से निकला तो देखा की गणेश जी ने तो नाक पर ऊँगली चढ़ा रखी है, तो उसने गाँव में सबसे जाकर कह दिया। अब गणेश जी की नाक पर चढ़ी उंगली उतरने के लिए सब प्रयास करने लगे।
कोई गणेश जी का पाठ करने लगा, कोई हवन करने लगा, पर गणेश जी ने नाक से उंगली नहीं हटाई। अब यह बात राजा तक पहुँच गयी। राजा ने बड़े-बड़े पंडित और ज्योतिष बुलवाए। पर वे गणेश जी की नाक से उंगली नहीं उतार पाए।
अब राजा ने पुरे राज्य में घोषणा करवा दी, कि जो भी गणेश जी की नाक से उंगली हटाएगा, उसे पांच गाँव जागीर में दिए जाएंगे। अब राज्य के सभी लोग अपनी अपनी तरफ से प्रयास कर रहे थे, पर गणेश जी ने उंगली नहीं हटाई।
जब सब थक हर गए तब आखिर में डोकरी की बहु बोली कि "माँ आप कहो तो में गणेश जी की नाक से उंगली हटा सकती हूँ। " तो डोकरी हॅसने लगी और बोली कि "बड़े-बड़े पंडित और ज्योतिष तो ये कर नहीं पाए तो ये कैसे करेगी। "
पर किसी भले व्यक्ति ने कहा कि "हो सकता है कि ये हटा दे, एक बार इसको भी प्रयास करने दो। " और डोकरी ने बहु को प्रयास करने की अनुमति दे दी।
बहु ने कहा की मेरी एक शर्त है कि हमारे घर से लेकर मंदिर तक पर्दा लगवाना पड़ेगा। तो लोगों ने कहा कि ठीक है और उसके घर से मंदिर तक पर्दा लगा दिया। अब बहु अपने घागरे में मोगरी (धोवना) छिपाकर मंदिर गयी।
मंदिर में धोवना निकालकर गणेश जी से बोली, "कारे कारे गनेशिया, आटो लायी महारा घर से, पनघट पे आटो ओसन के उनकी बाटी बनाई, मरया मुर्दा की आग में उन्हें सेकी, थारी तोंद में से जरा घी ले लियो तो तूने नाक पे ऊँगली चढ़ा ली। नाक पे से उंगली हटा रियो की नी,
नहीं तो दूँ एक धोवना की अभी थारा टुकड़ा-टुकड़ा हो जागो। "
बहु की बात सुनकर गणेश जी डर गए, उन्होंने सोचा "कि या बावली सही में मार देगी तो क्या करूंगा, इसका कोई भरोसा नहीं। " और गणेश जी ने फट से नाक पर से उंगली हटा ली। अब पुरे गाँव में डोकरी की बहु की जय जयकार होने लगी। राजा ने अपने आदेशानुसार उसे ५ गाँव जागीर में दिए।
हे गणेश जी महाराज जैसे उस डोकरी की बहु के टूटे वैसे सबके टूटजो। कथा अधूरी हो तो पूरी करजो, और पूरी हो तो मान करजो।
।। जय गणेश जी महारा।।
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