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जादुई मोर

जादुई मोर 

एक बार की बात है एक गांव में एक बहुत ही गरीब आदमी रहता था।  उसका नाम मोहन था वह इतना गरीब था की उसके पास खाने तक के पैसे नहीं थे।  वह अक्सर एक घर के पास बैठा रहत।  उस घर के पास बैठकर वह रोता रहता और कहता रहता मुझे कुछ खाने के लिए दे दो। लेकिन वहां से आने जाने वाले लोग उसे देख कर हॅसते और चले जाते।  एक दिन उस आदमी ने देखा कि एक घायल मोर उसके सामने पड़ा है और उसके पैरों से खून बह रहा है तभी मोहन उसके पास गया और फटा पुराना रुमाल उसके पैरों पर बांध दिया और पास के एक कुए से थोड़ा पानी लेकर उस मोर को पिला दिया।  

तभी मोर ने अपना रूप बदला और एक पारी बन गया और वह पारी मोहन से बोली "तुम बहुत अच्छे इंसान हो" बोलो तुम्हारी क्या इच्छा है।  तुम तीन इच्छा मांग सकते हो।  तभी मोहन बोला मेरी पहली इच्छा है कि गांव में कोई भी अत्याचार न हो तभी पारी ने अपना पंख पांच बार हिलाया और मोहन कि पहली इच्छा पूरी हो गयी। 



फिर मोहन ने बोला कि गांव में कोई भी दुखी न रहे, परी ने फिर से पंख हिलाया और दूसरी इच्छा भी पूरी हो गयी।  फिर परी बोली "मोहन। तुमने दो इच्छा तो मांग ली बची एक इच्छा तो बोलो क्या मांगोगे?" मोहन बोला मुझे एक व्यापारी बना दो तभी मोहन के सामने एक कपडे की दुकान आ गयी जिस पर लिखा था, "मोहन कपडे वाला"।  मोहन खुश होकर परी से बोला, धन्यवाद।  

तभी परी वहां से गायब हो गयी और मोहन भी अपनी दुकान में चला गया। एक हफ्ते में उसका व्यापर और बढ़ता गया उसके पास बहुत पैसे आने लगे तो मोहन ने रहने के लिए एक घर बनवा लिया।  जिसमें वो खुशी से रहने लगा और अपनीं दुकान भी अच्छे से चलने लग। 

शिक्षा:- मन चंगा, तो कटौती में गंगा 


लेखिका:- मोहिनी देवी जांगड़ा

कक्षा:- छटी

साल:- 2021

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