Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Bhai Joginder Singh ji vin boleya sabh kish janda lyrics

1. Bhai Joginder Singh ji vin boleya sabh kish janda lyrics -  बिन बोलियां सब कुछ जाणदा लिरिक्स Vin Boleya Sabh Kish Janada Lyrics

2. Satguru Mein Teri Patang सतगुरु मै तेरी पतंग | Satguru main teri patang lyrics


bhai joginder singh ji vin boleya sabh kish janda - विण बोलियां सब कीछ जाणदा लिरिक्स

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा,

किस आगे,

किस आगे, कीजै अरदास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।


बबिहा सगळी धरती जे फिरै,

उड़ चढ़े आकाश,

उड्ड  चढ़े आकाश,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।

किस आगे, कीजै अरदास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा। 


सतगुरु मिलिए जल पाइए,

चूखे भूख पियास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।

किस आगे, कीजै अरदास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।


जियो पिंड सब तिस का,

सब किछ तिस कै पास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।

किस आगे, कीजै अरदास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।


नानक घट घट एको वरतदा,

शब्द करै प्रगास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।

किस आगे, कीजै अरदास,

बिन बोलियां सब कुछ जाणदा।

वाहेगुरु, वाहेगुरु,वाहेगुरु, वाहेगुरु।


बिन बोलियां सब कुछ जाणदा लिरिक्स श्री गुरु नानक देव जी का यह एक पवित्र शब्द (Ang 1420 ) है जिसे सभी परमभक्तों द्वारा अत्यंत ही श्रद्धा के साथ सुना जाता है। यह शब्द पंजाबी भाषा में  है, जिसका हिंदी भाषा में अर्थ निचे दिया गया है।


१) बिन बोलियां सब कुछ जाणदा किस आगे, कीजै अरदास: अर्थार्थ वह भगवान तो बिना बोले ही सब कुछ जानता है। भाव यह है कि वह पूर्ण परमात्मा है, वह आंशिक नहीं अपितु समग्र है। कण कण में वह है और कण कण में वास करता है। बिना बोले ही वह तो सब कुछ जानता है। घट घट में वह व्याप्त है इसलिए तुम किसके आगे अरदास करोगे, क्या इस जगत के आगे ? नहीं तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला वह परम पिता ही है जो बिना बोले ही तुम्हारे अंदर में क्या है जानता है।


२) जैसे बबिहा नामक पक्षी समस्त धरती का चक्कर लगा लेता है लेकिन कहीं पर जल (मनवांछित) को प्राप्त नहीं कर पाता है, ऐसे ही जीवात्मा (व्यक्ति) एक स्थान से दूसरे स्थान पर, ईश्वर और भक्ति की तलाश में भटकता रहता है। वस्तुतः वह अज्ञान के अँधेरे में होता है और वह किताबी ज्ञान पाकर, लोकाचार का पालन कर ईश्वर को ढूँढना चाहता है जो सम्भव नहीं है। केवल सतगुरु से प्राप्त ज्ञान के आधार पर ही उसे जीवन और जीवन के उद्देश्य का ज्ञान हो पाता है। गुरु ही उसकी इस प्यास को बुझा पाते हैं अर्थार्थ प्रभु से मिलवा सकते है ।


३) इस मनुष्य रूपी शरीर और इसमें प्राण तत्व आत्मा (जीवात्मा) सब का मालिक वह ईश्वर ही है। सब कुछ उसी परमात्मा का है और उसी के पास है। भाव है की व्यक्ति अपने तन को आत्मा से जोड़ कर नहीं देखता है। वह भूल जाता है की उसके हृदय में ही ईश्वर का वास है और प्रत्येक प्राणी उसी की रचना है। वही सर्वोच्च शक्ति है जो दयावान भी है।


2. Satguru Mein Teri Patang सतगुरु मै तेरी पतंग | Satguru main teri patang lyrics

satguru mein teri patang - सतगुरु मै तेरी पतंग


सतगुरु मै तेरी पतंग, सतगुरु मैं तेरी पतंग,

हवा विच उड़दी जावांगी, हवा विच उड़दी जावांगी

साईंयां डोर हत्थों छड्डी ना, मैं कट्टी जावाँगी


बड़ी मुश्किल दे नाल मिलेया मैनु तेरा दवारा है

मैनु तेरा दवारा है

मैनु इको तेरा आसरा नाले तेरा ही सहारा है

बाबा तेरा ही सहारा है

हुण तेरे ही भरोसे, हवा विच उड़दी जावांगी,

साईंयां डोर हत्थों छड्डी ना, मैं कट्टी जावाँगी


ऐना चरणां कमला नालों मैनु दूर हटावी ना

बाबा दूर हटावी ना

इस झूठे जग दे अन्दर मेरा पेंचा लाई ना

मेरा पेंचा लाई ना

जे कट गयी तां सतगुरु, फेर मैं लुट्टी जावांगी,

साईंयां डोर हत्थों छड्डी ना, मैं कट्टी जावाँगी


अज्ज मिलिया बूहा आके मैं तेरे द्वार दा

बाबा तेरे द्वार दा

हाथ रख दे एक वारि तूं 

मेरे सर ते प्यार दा

फिर जनम मरण दे गेड़े तो मैं बचदी जावांगी,

साईंयां डोर हत्थों छड्डी ना, मैं कट्टी जावाँगी


सतगुरु मै तेरी पतंग, सतगुरु मैं तेरी पतंग,

हवा विच उडदी जावांगी, हवा विच उडदी जावांगी

साईंयां डोर हत्थों छड्डी ना, मैं कट्टी जावाँगी

Post a Comment

0 Comments