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भूतिया बंगला की कहानी (bhutiya bangla) मृत्यु का एहसास

1. भूतिया बंगला की कहानी 

2. मृत्यु का एहसास

3. चिड़िया और हाथी की कहानी

4. टी वी और एक लड़का 

 

1. भूतिया बंगला की कहानी 

एक बार की बात है एक गांव में एक लड़की रहती थी! वह बहुत सुन्दर थी! उसके पास बहुत आलीशान बंगला था ! उसका नाम चांदनी था! उसके बंगले के पास १०-१२ आदमी और एक बुजुर्ग औरत रहती थी वो सभी चांदनी की जमीन को छिनना चाहते थे एक दिन उन सभी ने मिलकर चांदनी को मार डाला और उसकी जमीन अपने नाम करवा ली लेकिन उन्होंने चांदनी के शरीर को मिट॒टी में नहीं दबाया और वहां से भाग गए!

५ साल बीत गए पर उसके बाद वो उस घर में कभी वापिस नहीं आये क्योंकि चांदनी की लाश उसी घर में थी! अब वे सभी किसी और गांव में जा चुके थे! परन्तु चांदनी की आत्मा अभी तक उसी घर में इन्साफ के लिए भटक रही थी! अब वो दिन आ गया था जिसका उसे इतने सालों से इंतज़ार था! 

उन आदमियों ने उस बुजुर्ग औरत से कहा की अब बहुत साल बीत चुके है तो हमें उस बंगले में वापिस जाना चाहिए और चांदनी की अस्थियो को नदी में बहा देना चाहिए! इस तरह वो पूरी योजना बनाकर वापिस उसी गांव में चले गए! वहां जाकर वो अपने पुराने घर में ठहरे!

वहीं एक लड़की अपने बुजुर्ग माता पिता से मिलने गांव आयी हुई थी एक दिन वहां घूमते हुए उसने बंगला देखा तो वह उस बंगले का दरवाजा खटखटाने लगी पर दरवाजा नहीं खुला! कुछ देर बाद कोशिश करने के बाद दरवाजा अपने आप खुल गया और अंदर से बहुत तेज आवाज आयी! वह लड़की डर गयी उसने जैसे ही घर के अंदर अपना कदम बढ़ाया अचानक उसके सामने एक कंकाल आ गया! 

उसका डर बढ़ता गया उसने कहा यहाँ अगर कोई है तो सामने आओ, नहीं तो में यहाँ से जा रही हूँ तभी चांदनी की आत्मा एक बुजुर्ग औरत बन गयी और एक मोमबत्ती लेकर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी और बीमार होने का नाटक करने लगी!

उसने कहा "आओ बेटी, तुम्हारा नाम क्या है" लड़की ने जवाब दिया माँ जी मेरा नाम प्रीति है और मैं इस
गांव मैं अपने माता पिता से मिलने आयी हुई हूँ किन्तु अभी बहुत अँधेरा हो गया हो तो मैं यहाँ पर ठहरने की सोच रही हूँ ! 

क्या आप मुझे आज रात के लिए यहाँ ठहरने देंगी? बुढ़िया ने जवाब दिया "तुम यहाँ ठहर सकती हो लेकिन यहाँ बचकर रहना यहाँ कुछ भी हो सकता है!

प्रीति डरते-२ कमरे की ओर चल दी उसने देखा कमरा बहुत गन्दा और भयानक था! उसने सोचा की कमरे की सफाई कर लूँ सफाई करते करते वह थक गयी और सो गयी! 

उसके बाद वह आत्मा अपने असली रूप मैं आ गयी! प्रीति सो कर उठी तो उसने आत्मा का असली रूप देखा और वह दरवाजे के पीछे चुप गयी! लेकिन आत्मा को पता चल गया कि प्रीति ने उसका असली चेहरा देख लिया है!

आत्मा ने कहा कि अब मैं उसको नहीं छोडूंगी ! अब तक मैंने सोचा था कि मैं उसे कुछ नहीं कहूँगी पर अब मैं उसे मार डालूंगी! वह आत्मा धीरे-धीरे प्रीति की ओर जाने लगी और कहा की मैं तुम्हे मार डालूंगी! 

प्रीति ने कहा कि "तुम मुझे क्यों मरोगी"? उसने आगे कहा कि "हर आत्मा की कोई न कोई इच्छा अवश्य होती है अगर तुम मुझे बताओ तो मैं शायद तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ!

आत्मा ने कहा कि तुम मेरी मदद कैसे करोगी जिन्होंने मुझे मारा है वो १०-१२ आदमी और एक महिला है और सभी आदमी उस औरत की ही बात मानते है !

प्रीति ने आत्मा को बताया कि उसके पिता एक पंडित है और वो आत्माओं को मुक्त करते हैं!

प्रीति ने कहा कि तुम मुझे अपना नाम बताओ, आत्मा बोली "मेरा नाम चांदनी हैं" और अपनी पूरी आप बीती सुनाई! प्रीति बोली "चांदनी तुम मुझसे वादा करो कि उन पापियों को मारने के बाद तुम मेरे पिता के पास जाकर मुक्त हो जाओगी"।

आत्मा ने कहा "ठीक हैं!" प्रीति के पास एक चाकू और नींबु थे! प्रीति ने कहा कि वह उन पापियों के घर के आगे नींबु रख देगी उसके बाद तुम उनसे बदला ले सकोगी! आत्मा ने कहा "ठीक हैं! तुम्हें जो करना हैं करो पर मुझे इन्साफ चाहिए! इतना कहने के बाद आत्मा कमरे में चली गयी।

प्रीति ने पापियों को चेतावनी दी कि अब तुमने जिसका खून किया हैं वो तुम्हारा खून करेगी ! इतना कहकर प्रीति ने उन पापियों के घर के सामने नींबु रख दिया और कहा कि अगर तुम में से किसी ने भी इस नींबु को छुआ या फेंका तो वह आत्मा तुम्हें घर के अंदर आ कर मार डालेगी!

लेकिन उन पापियों को इस बात पर हंसी आयी ओर उनमें से एक ने नींबु उठाकर फेंक दिया और सभी उस बंगले की ओर चल्र दिये! जैसे ही उन्होंने बंगले के अंदर कदम रखा आत्मा ने उन सभी को मार दिया और अपने बदला पूरा कर लिया!

उसके बाद प्रीति उसे अपने पिता के पास ले गयी और चांदनी की आत्मा को मुक्ति मिल गयी!

बहुत बहुत धन्यवाद!

बच्चों की छोटी कविताएं



लेखिका:- मोहिनी देवी
कक्षा:- 4
उम्र:- 9 वर्ष

 

2. मृत्यु का एहसास

 
उस दिन शाम का समय था और हर दिन की तरह रामलाल शाम के चाय पिने के बाद घर के अंदर डली चारपाई पर बैठ गया! कुछ समय बाद उसका बेटा घर में आया उसके हाथ में एक अमरूदों का थैला लटक रहा था!

चूकि रामलाल बहुत दिनों से दिल के दौरे की बीमारी से जूझ रहा था तो डॉक्टर ने उसे कुछ चीज़े खाने से मना किया था और उन्हीं में से एक था अमरुद ! उसकी पत्नी के लाख मना करने के बावजूद भी उसने उस दिन पेट भर के अमरुद खाये!

उसकी सबसे छोटी बेटी जिसने अपनी मर्जी और अपनी पसंद के लड़के से विवाह किया था जिसके कारण रामलाल उससे कभी बात नहीं करता था ! लेकिन अचानक से उस दिन उसने अपनी बेटी से जी भर कर बात की और कहा की वह हमेशा उसके घर के आस पास ही अपने घर ख़रीदे ताकि जरुरत पड़ने पर वह अपनी माँ की मदद कर सके क्योंकि उसकी बाकि बेटियों की शादी बहुत दूर जगह पर हुई थी !

शाम ढलते-२ रामलाल को दिल वाली जगह बहुत दर्द होने लगा, जब घरवालों ने देखा की हालत बहुत ज्यादा ख़राब हो रही है तो उसे तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करवाया ! जहाँ पर रामलाल ने अपने बेटों से कहा की बस वो उसका आखिरी दिन है वो जितनी मर्जी कोशिश कर ले मगर वो अब नहीं बचेगा!

रात को बहुत देर तक जब दवाइयों का कोई असर नहीं हुआ तो लोकल हॉस्पिटल वालो ने उसे रोहतक सरकारी हॉस्पिटल में रेफेर कर दिया जहाँ तक जातें जातें उसने अपनी आखिरी सांसे तोड़ दी और इस तरह रामलाल इस दुनिया को अलविदा कह गया !

अगली सुबह उसके पार्थिव शरीर को वापिस घर लाया गया और सभी रिश्तेदारों को सूचित किया गया, शाम के ४ बज चुके थे और तक़रीबन सभी रिश्तेदार पहुँच चुके थे ! कुछ समय बाद समसान घाट की गाड़ी आयी और उसमें रामलाल के मृत शरीर को लाढ़ कर, आखिरी विदाई के लिए रवाना कर दिया !   



3. चिड़िया और हाथी की कहानी

एक पेड़ पर एक चिड़िया और एक चिड़ा साथ में रहते थे ! चिड़िया सारा दिन अपने घोंसले में बैठकर अपने अंडे सेती रहती थी और उसका चिड़ा दोनों के लिए खाने का इंतजाम करता था। वो दोनों बहुत खुश थे और अंडे से बच्चों के निकलने का इंतजार कर रहे थे।

एक दिन चिड़ा दाने की तलाश में अपने घोंसलें से बहुत दूर चला गया और चिड़िया रोज की तरह अपने अंडों की देखभाल कर रही थी। तभी वहां एक हाथी मदमस्त चाल चलते हुए आया और पेड़ की शाखाओं को तोड़ने लगा। हाथी ने चिड़िया का घोंसला गिरा दिया, जिससे उसके सारे अंडे फूट गए। 

चिड़िया को बहुत दुख हुआ। उसे हाथी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। जब चिड़ा वापस आया, तो उसने देखा कि चिड़िया हाथी द्वारा तोड़ी गई शाखा पर बैठी रो रही है। चिड़िया ने पूरी घटना चिड़े को बताई, जिसे सुनकर चिड़े को भी बहुत दुख हुआ। उन दोनों ने घमंडी हाथी को सबक सिखाने का निर्णय लिया।

वो दोनों अपने एक दोस्त कठफोड़वा के पास गए और उसे सारी बात बताई। कठफोड़वा बोला कि हाथी को सबक मिलना ही चाहिए। कठफोड़वा के दो दोस्त और थे, जिनमें से एक मधुमक्खी थी और एक मेंढक था। उन तीनों ने मिलकर हाथी को सबक सिखाने की योजना बनाई!

अपनी योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने हाथी के कान में गुनगुनाना शुरू किया। हाथी जब मधुमक्खी की मधुर आवाज में खो गया, तो कठफोड़वे ने आकर हाथी की दोनों आखें फोड़ दी। हाथी दर्द के मारे चिल्लाने लगा और तभी मेंढक अपने परिवार के साथ आया और एक दलदल के पास टर्रटराने लगा।

हाथी को लगा कि यहां पास में कोई तालाब होगा। वह पानी पीना चाहता था, इसलिए दलदल में जाकर फंसा। इस तरह चिड़िया ने मधुमक्खी, कठफोड़वा और मेंढक की मदद से हाथी से बदला ले लिया।

कहानी से सीख – बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता और विवेक का उपयोग करके बड़ी से बड़ी मुसीबत को हराया जा सकता है।

4. टी वी और एक लड़का 


एक लड़का पूरे दिन टी वी देखता था।  वह कोई काम नहीं करता था।  उसके घर में उसकी मम्मी कहती थी इतना टी वी मत देखो नहीं तो आँखें ख़राब हो जाएँगी।  लेकिन वह किसी की नहीं सुनता था। 
 
एक लड़की थी वह बहुत अच्छी थी उस लड़की ने उस लड़के को डांटा और टी वी के नुकसान बताये।  लड़की ने कहा कि ज्यादा टी वी देखने से हम आँखों से कभी नहीं देख पाएंगे इसलिए वह लड़का अच्छा बन गया।
शिक्षा:- बच्चों नहीं देखना टी वी ज्यादा, इससे नहीं होता हमारा फायदा।  

जामुन और एक लड़का 


लेखक:- तेजस कुमार
उम्र:- 7 वर्ष
कक्षा:- 2

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2 Comments

  1. Great story with concept... write more great story... god bless u.... u are doing very well. Keep it up....

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