सेठ बना कर्ज़दार
एक बार एक सेठ का बाजार में बहुत बड़ा शोरूम था। जिस पर बहुत से लड़के और लड़किया भी काम किया करते थे। रोज लाखो रुपए का लेन-देन होता था एक दिन सेठ जी सुबह सुबह अपनी दुकान पर पहुंचे तो उसकी दुकान के बहार फर्श पर एक भिखारी सो रहा थ। सेठ ने दुकान का शटर उठाया, किन्तु भिखारी वहीं सोता रहा। वह शटर उठाने की आवाज़ से भी नहीं जगा।
तब सेठ जी ने दुकान के अंदर से झाड़ू उठा कर भिखारी को दे मारी। भिकारी उचक क्र बैठ गया और अपने हाथो से आंखो को मलने लगा। फटे-गंदे कपड़ों में से बहुत बदबू आ रही थी और उसके बाल भी बहुत उलझे हुए थे ऐसा लग रहा था मानो वह महीनो से नहाया भी नहीं है।
भिखारी सेठ को देख कर हॅसने लगा उसके दांत बहुत ही भद्दे लग रहे थे। सेठ मन ही मन सोचने लगा ना जाने किस गलीज़ से पला पड़ गया है, आज का दिन तो पूरा ही ख़राब जायेगा। सेठ ने जब भिखारी को धमकाया तो वह न जाने क्या बोलता हुआ वहां से चला गया। भिखारी थोड़ा मंदबुद्धि भी दिखाई पड़ रहा था।
दिन ठीक-ठाक ही गुजरा, कमाई उतनी ही हुई जितनी हर रोज हुआ करती थी इसलिए सेठ जी सुबह वाली सब बातों को भूल गए। अगा ले दिन सुबह फिर सेठ जी अपनी दुकान पर पहुंचे तो वही भिखारी फिर दुकान के आगे सो रहा था, सेठ के माथे पर सिलवटे पड़ गयी। फिर से यह मनहूस यही सो रहा है इसे कोई और जगह नहीं मिलती, मेरी ही दुकान मिली है सोने के लिए।
सेठ ने दुकान खोली और एक बाल्टी पानी भरकर भिखारी के ऊपर दे मारा। सर्दी का मौसम था भिखारी सिकुड़ कर बैठ गया, वह पूरा पानी से भीग गया था। किसी ने कहा "सेठ जी ये ऐसे नहीं मानेगा इसे दो-चार डंडे लगवा दो किसी ने कहा " अरे बेचारा गरीब है क्यों परेशांन कर रहे हो, देखो कैसे ठण्ड से ठिठुर रहा है"।
गरीब को कुछ खिला दो पुण्य मिलेगा। सेठ ने फिर से भिखारी पर चिल्लाया औार वहां से भगा दिया। कुछ दिनों तक सेठ के साथ ऐसा ही होता रहा। लेकिन इससे सेठ की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा बल्कि सेल और भी अच्छी हो रही थी। सेठ भिखारी को ज्यादा परेशान भी नहीं करना चाहता था क्योंकि गरीब को सताना भी कोई अच्छी बात नहीं। ऐसा करते करते कई महीने गुजर गए लेकिन जब एक दिन सेठ अपनी दुकान पर आया तो उसने देखा की भिखारी वहां पर नहीं है,
कुछ देर इधर उधर देखने के बाद वह अपनी दुकान में चला गया और बहुत देर तक वह जब भिखारी के बारे में सोचता रहा तो उसके मन में एक ख्याल आया उसने अपनी दुकान के बहार लगे CCTV कैमरे को जब चेक किया तो वह एक दम हक्का-बक्का रह गया।
उसने देखा की रात में भिखारी उसकी दुकान के सामने आता है और सारे कागज और कूड़ा कचरा साफ़ करके वहीं पर सो जाता है, आधी रात होते ही दो बाइक सवार लड़के आते है और आते ही दुकान का ताला तोड़ने की कोशिश करते है तभी भिखारी की आंख खुल जाती है और वह उन दोनों को ऐसा करने से रोकने लगता है
लेकिन बदले में दोनों लड़के उस पर तेज धार वाले चाकू से हमला कर देते है जिससे उसकी पेट की आंतड़ी बहार निकल आती है लेकिन इसके बाद भी भिखारी ने हिम्मत नहीं हारी और वह उन को रोकने की कोशिश करता है लेकिन उनमें से एक लड़के ने उसका सिर भी फोड़ दिया जिसके बाद उसके शरीर से खून फर्श पर गिरने लगा। जिसके बाद वह दोनों लड़के वहां से भाग गए।
ये सब देख कर सेठ बहुत जोर जोर से रोने लगा उसे अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ और उसे पता चला की भिखारी ने अपनी जान देकर कैसे उसकी दुकान चोरी होने से बचाई। इसके बाद उसने निर्णय किया कि वह अब कभी भी जिंदगी में किसी भी सोते हुए इंसान को तंग नहीं करेगा और बुरा भला नहीं कहेगा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी हमें अपने पैसे या सामान का घमंड नहीं करना चाहिए, हमें पता ही नहीं होता कि कई बार बहुत गरीब दिखने वाला व्यक्ति भी हमारे लिए बहुत कुछ कर जाता है !
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